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नीलू चौबे
श्रीबंशीधरनगरः भाजपा विधायक मंत्री भानू प्रताप शाही की संपत्तियों को आज प्रवर्तन
निदेशालय के अधिकारियों ने जब्त कर लिया। इस कार्रवाई के बाद वहां विभाग की तरफ
से विधिवत बोर्ड भी लगा दिया गया है। वैसे इस कार्रवाई के बाद अब तक भाजपा
विधायक की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है। प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने श्रीबंशीधर
नगर (नगर ऊंटारी) में विधायक भानू प्रताप शाही की संपत्ति अटैच की है। जानकारी के
अनुसार इडी ने विधायक की जब्त संपत्ति पर अपना बोर्ड लगा दिया है। खबर के
मुताबिक विधायक की मां नगीना शाही महिला विद्यालय और जंगीपुर स्टेशन रोड में
स्थित निवास को अटैच किया है और दोनों जगहों पर बोर्ड लगा दिया है। यहां बता दें कि
आय से अधिक संपत्ति के मामले में इडी ने विधायक पर शिकंजा कसा है। विधायक की
संपत्ति अटैच किये जाने की चर्चा जोरों पर हैं। वैसे भानू के खिलाफ जिस मामले की जांच
चल रही थी, वह काफी पुरानी है। यह उस वक्त की घटना है जब वह राज्य में मंत्री पद पर
थे। कई गंभीर आरोप लगने के बाद विभाग ने इन मामलों की जांच प्रारंभ की थी। दूसरी
तरफ यह भी बताना प्रासंगिक है कि विधानसभा चुनाव के कुछ दिन पूर्व ही भानू प्रताप
शाही ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। भाजपा में शामिल होने के बाद वह भाजपा की
टिकट पर ही ही चुनाव लड़े थे और विजयी हुई है।
भाजपा विधायक भानू मधु कोड़ा की सरकार में मंत्री थे
मधु कोड़ा की सरकार में मंत्री रहे भानू के खिलाफ 130 करोड़ की दवा खरीद की गड़बड़ी का
आरोप लगा था। इस मामले में उन्हें जेल में भी भेजा गया था। बाद में झारखंड उच्च
न्यायालय के न्यायमूर्ति एससी मिश्रा ने उन्हें जमानत दी थी। मामला दर्ज होने के बाद
भानू प्रताप शाही ने गत 6 अगस्त 2011 को सीबीआई जज की अदालत में आत्मसमर्पण
कर दिया था। इस मामले में आरोप था कि उन्होंने दवा और चिकित्सा संबंधी उपकरणों
की खरीद अधिक कीमत पर की है।
यह बताना भी प्रासंगिक होगा कि रघुवर दास के मुख्यमंत्री रहने के दौरान ही भानू प्रताप
खुद श्री दास के करीबी हो गये थे। इसलिए जब वह पार्टी में शामिल भी हुए तो किसी को
हैरत नहीं हुई थी क्योंकि यह बात पहले से ही चर्चा में थी कि रघुवर दास के करीबी होने का
लाभ उठाकर भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़कर भानू फिर से मंत्री बनना चाहते हैं।
विधानसभा चुनाव में भानू जीतने में तो कामयाब रहे लेकिन दूसरी तरफ खुद रघुवर दास
और उनके अनेक प्रियपात्रों को पराजय का सामना करना पड़ा। जिसकी वजह से अब
महागठबंधन की सरकार बनी, जिसमें भानू की भूमिका फिर से विपक्ष के विधायक की
बनकर रह गयी है। वैसे भाजपा का विधायक होने के बाद भी ईडी ने उनके खिलाफ क्यों
कार्रवाई की, यह कई राजनीतिक सवालों को जन्म दे रहा है।
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