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कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शोध में संदेह
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बाहरी आवरण की जेनेटिक कड़ियों का विश्लेषण
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इसी वजह से शरीर में सक्रिय होता है यह वायरस
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संक्रमण बढ़ने की बीच मास्क अनिवार्य की सिफारिश
प्रतिनिधि
नईदिल्लीः कोविड 19 के वायरस में जेनेटिक संशोधन किये गये हैं। यानी इस प्राकृतिक
वायरस में कुछ ऐसे संशोधन किये गये हैं, जो उसे इंसानी कोष से चिपककर घातक बनने
का अवसर प्रदान करते हैं। इस नये शोध से यह संदेह और पुख्ता होता जा रहा है कि
दरअसल कोविड 19 वायरस कोई प्राकृतिक आपदा नहीं है। अमेरिका सहित कई देशों के
वैज्ञानिक पहले से ही यह आरोप लगा रहे हैं कि वुहान की प्रयोगशाला में चीन ने यह
वायरस पैदा किया है। जो अब पूरी दुनिया में तबाही मचा रहा है। अब तक पूरी तरह यह
आरोप विज्ञान सम्मत तरीके से प्रमाणित नहीं हो पाया है। लेकिन चीन भी अपने
प्रयोगशाला की निष्पक्ष जांच के लिए तैयार नहीं है।
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शोध दर ने कहा है कि वायरस के जेनेटिक कड़ियों के
विश्लेषण से यह स्पष्ट होता है कि उसमें कृत्रिम तरीके से संशोधन किये गये हैं। इन्हीं
कृत्रिम संशोधनों की वजह से यह वायरस इंसान के संपर्क में आने के बाद इंसानी रक्त
कोष से चिपक कर न सिर्फ वंशवृद्धि करता है बल्कि फेफड़े और आंतों तक फैल जाता है।
इसी संक्रमण के फैल जाने की वजह से इंसानी की हालत बिगड़ती चली जाती है। अनेक
अवसरों पर शरीर के अपने प्रतिरोधक क्षमता की स्थिति कमजोर पड़ने पर इस वायरस से
इंसानों की मौत हो जाती है।
कोविड 19 के वायरस पर पहले से ही संदेह है
इस शोध के क्लीनिकल निष्कर्ष यह बता रहे हैं कि इसमें इंसान के उस कोष की भी
भूमिका है जो वायरस को अत्यधिक सक्रिय होने में मददगार बनता है। रासायनिक
विश्लेषण के तहत इसमें एमिनो एसिड के वे अंश पाये गये हैं जो कृत्रिम तौर पर बनते हैं।
यह प्राकृतिक तौर पर तैयार नहीं होते हैं। शोध करने वालों ने अपनी रिपोर्ट की व्याख्या
करते हुए बताया है कि वायरस की जेनेटिक संरचना में हुए बदलाव की वजह से ही वह
शरीर के अंदर नमक की वह श्रृंखला पैदा कर लेता है जो कोष से जुड़कर आगे बढ़ता चला
जाता है। प्राकृतिक तौर पर ऐसा होना संभव नहीं है। इसके लिए वायरस के बाहरी आवरण
में मौजूद स्पाइक प्रोटिन की संरचना में यह कृत्रिम संरचना नजर आ रही है। यह स्पाईक
प्रोटिन ही वायरस को दवा के प्रभावों से बचाता रहता है। वैज्ञानिकों के विश्लेषण के
मुताबिक शरीर के अंदर मौजूद पॉजिटिव संकेत यानी इंसानी कोष ही वायरस में मौजूद
नेगेटिव संकत यानी स्पाइक प्रोटिन की संरचना से मिलकर यह गड़बड़ी कर रहे हैं।
डब्ल्यू एच ओ ने फिर से कहा मास्क बहुत जरूरी है
इस बीच दुनिया में कोरोना संक्रमण के तेजी से बढ़ने के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने
मास्क को अनिवार्य बनाने की वकालत की है। दुनिया के अनेक इलाकों में अब कारोबार
सामान्य करने की कवायद चल रही है। इसमें एक दूसरे के बीच शारीरिक दूरी रख पाना
संभव नहीं है। इसी स्थिति को भांपते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भीड़ वाले इलाकों में
मास्क को अनिवार्य बनाने की बात कही है। ताकि संक्रमण के विस्तार को रोका जा सके।
अब तक के शोध के मुताबिक यह स्पष्ट है कि यह वायरस मुंह और नाक के रास्ते ही
शरीर के अंदर प्रवेश करता है। भीड़ में अगर कोई कोरोना संक्रमित हो तो उसकी चपेट में
आने से बचाव का सबसे आसान तरीका मास्क ही है, जो मुंह और नाक दोनों को ढका
रहता है। साथ ही बार बार अपने हाथ से मास्क को हटाने से बचने की भी हिदायत दी गयी
है। ताकि मास्क पर अगर किसी भीड़ वाले इलाकों में बाहरी पर्त पर वायरस चिपका हो तो
बार बार मास्क उतारने और पहनने के बीच वह हाथ के रास्ते से होता हुआ फिर से शरीर
के अंदर प्रवेश नहीं कर सके।
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