-
वैक्सिन के बाद भी एहतियात जरूरी रहेगी
-
अमेरिका में जारी है जागरुकता अभियान
-
टीकाकरण के बाद मास्क नहीं छोड़ना है
-
भीड़ और पार्टी जैसे आयोजनों से दूर रहें
राष्ट्रीय खबर
रांचीः कोरोना से बचाव के वैक्सिनों का क्लीनिकल ट्रायल लगभग समाप्त होने को है।
इसके पहले ही आपात स्थिति में इन टीकों के इस्तेमाल की अनुमति भी कई देशों में दे दी
गयी है। कुल मिलाकर जो दौड़ में आगे हैं, उन वैक्सिनों का कोई खतरनाक साइड एफेक्ट
अब तक जानकारी में नहीं आया है। इस बीच वैज्ञानिकों और चिकित्सा विशेषज्ञों ने इस
बात की खास तौर पर चेतावनी दी है कि वैक्सिन का टीका लग जाने के बाद भी कई
किस्म की सावधानी अभी जरूरी है। कई देशों में इसके लिए जागरुकता फैलायी जा रही है
ताकि वैक्सिन का टीका लगने के साथ साथ लोग बचाव के प्रावधानों का परित्याग नहीं
कर दें वरना दूसरे किस्म की परेशानी खड़ी हो सकती है। सीधे शब्दों में कहें तो वैक्सिन का
टीका लगने के बाद भी कोरोना का खतरा पूरी तरह समाप्त नहीं हो जाता है। इसी वजह से
लोगों को टीका लगाने के पहले ही इन सावधानियों के बारे में बार बार बताया जा रहा है।
यह सर्वविदित है कि चीन के वुहान शहर के निकले इस वायरस ने पूरी दुनिया को
स्वास्थ्य और अर्थ दोनों अर्थों में तबाह कर दिया है। शायद यह पहला मौका है जबकि पूरी
दुनिया के वैज्ञानिक एक साथ इससे बचाव के रास्ते तलाशने की कोशिशों में जुटे हैं। इस
प्रयास में वे आपस में निरंतर संवाद स्थापित किये हुए हैं और शोध के आंकड़ों का एक
दूसरे से आदान प्रदान भी कर रहे हैं। इन्हीं शोधों की वजह से ऐसा माना जा रहा है कि
वैक्सिन के टीकों का लगना प्रारंभ होने के बाद भी कई किस्म की सावधानी जरूरी रहेगी।
इस बारे में पहली शर्त यह लगायी गयी है कि टीका लगने के बाद ही तुरंत मास्क को त्याग
देना बहुत बड़ी गलती होगी।
कोरोना से बचाव की जरूरत अभी लंबे समय तक रहेगी
अमेरिका से आने वाली सूचनाओँ के मुताबिक वहां पर दवा के प्रयोग का अनुमति देने
वाली संस्था यूनाइटेड स्टेट्स फूड एंड ड्रग एडमिंस्ट्रेशन (एफडीए) हर चीज का मूल्यांकन
कर रहा है। वहां की जो तैयारियां हैं उसके मुताबिक वैक्सिन पाने वालों की पहली कतार में
शामिल लोगों को क्रिसमस के पहले से ही वैक्सिन का टीका लगना प्रारंभ हो जाएगा।
ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी के वैक्सनर मेडिकल सेंटर के विशेषज्ञ डेब्रा गोफ ने कहा कि
सारी चीजों के सामान्य होने में अभी काफी वक्त लगेगा। इसलिए टीकाकरण प्रारंभ होने
केबाद भी जिन्हें टीका लग जाता है, उनकी तरफ से सावधानी जरूरी है। उन्होंने कहा कि
फाइजर और मॉर्डना की वैक्सिन की सफलता के वर्तमान आंकड़े 95 प्रतिशत सफलता के
हैं। इस सफलता के दर को हासिल करने के लिए दो डोज जरूरी है। पहले डोज को
क्रियाशील होने में 10 से 12 दिन का समय लगता है। लेकिन दूसरे डोज के बाद इसकी
सफलता घटकर 52 प्रतिशत हो जाती है। इसलिए पहला टीका लगते ही मास्क को फेंक
देना अपने आप में एक बहुत बड़ी मुर्खता होगी और उससे दूसरों को भी ज्यादा खतरा
होगा। उनके शब्दों मं वैक्सिन लेने के बाद मास्क उतारकर किसी बार में शराब पीने जाने
से बड़ा खतरा कुछ नहीं हो सकता है।
इस बीच अमेरिकी विशेषज्ञ एंथोनी फोसी ने फेसबुक के प्रमुख मार्क जुकरबर्ग को दिये एक
साक्षातकार में कहा है कि अमेरिका में जो आंकड़े सभी के सामने हैं, उसके मुताबिक वहां
की 75 से 85 प्रतिशत आबादी को इस वैक्सिन की आवश्यकता है।
टीका लगते ही मास्क छोड़ना और पार्टी करना खतरनाक होगा
अमेरिका के इन आंकड़ों के आधार पर ही समझा जा सकता है कि वैक्सिन के तैयार होने
के बाद भी पूरी दुनिया को आगे भी किस खतरे का सामना करना पड़ सकता है। अब तक
के सारे शोध रिपोर्ट यही बता रहे हैं कि क्लीनिकल ट्रायल के तीसरे दौर की समाप्ति तक
पहुंचने वाले सारे वैक्सिनों में से कोई भी ऐसा नहीं है, जो शत प्रतिशत सफल हो। इसलिए
कोरोना से बचाव के जो प्रावधान पहले से लागू हैं, उन्हें नजरअंदाज तो कतई नहीं किया
जाना चाहिए। इसके लिए खास तौर पर मास्क पहनने के साथ साथ बिना काम के भीड़
भाड़ वाले इलाकों में जाना भी शामिल हैं। भारतवर्ष में पिछले एक महीने के कोरोना के
मरीजों का आंकड़ा यही दर्शा रहा है कि भीड़, पार्टी अथवा शादी समारोह में शामिल होने के
दौरान ही अनेक लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं। विशेषज्ञ बार बार यह चेतावनी दे रहे हैं
कि वैक्सिन लगने के बाद भी खुद को हर खतरे से सुरक्षित मान लेना सबसे बड़ी गलती
होगी। इसलिए वैक्सिन लगने के बाद भी संक्रमण से बचने के जो प्रचलित प्रावधान हैं,
उनके आधार पर ही अपनी दिनचर्या को जारी रखना चाहिए।
[…] दावे के साथ नहीं कहा जा सकता है कि इन टीकों के साइड एफेक्ट्स […]
[…] इसका इस्तेमाल करने वालों को बार बार इसकी हिदायत दी जा रही है। […]