-
जंगल में जड़ी बूटी लाने का काम पेशा है
-
चीनी अखबार ने कहा जासूसी करते पकड़े गये
-
भारत सरकार ने हॉट लाइन पर दिया कड़ा संदेश
-
चीन का आरोप पांचों युवक भारतीय सेना के जासूस
भूपेन गोस्वामी
गुवाहाटी: चीन की सेना ने अंततः 10 दिन बाद अरुणाचल प्रदेश से लापता हुए 5 युवकों
को भारत को सौंप दिया। तेजपुर स्थित रक्षा प्रवक्ता इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि
सारी औपचारिकता पूरी करने के बाद सभी पांचों युवकों को किबितु में भारतीय सेना के
हवाले कर दिया गया है। कोविड-19 प्रोटोकॉल के तहत पहले उन्हें 14 दिन तक क्वारेंटीन
रहना होगा जिसके बाद उन्हें उनके परिवारों को सौंप दिया जाएगा। असम के तेजपुर
स्थित डिफेंस पीआरओ की तरफ से कहा कि अपर सुबानसिरी से जो पांच युवा लाइन
ऑफ एक्चुपअल कंट्रोल (एलएसी) को पार कर चीन की सीमा में लौटा दिया है। पीएलए
उन्हें 12 सितंबर को सुबह 10:30 बजे लौटाया गया है।सेना ने बताया कि अरुणाचल प्रदेश
प्राकृतिक संपदा से भरपूर राज्ये है और यहां के निवासी हमेशा जड़ी-बूटी के साथ ही दूसरी
चीजों की तलाश के लिए निकलते हैं। वह कई दिनों तक जंगल में रहते हैं। इसी प्रयास में
ये पांचों युवा एलएसी पार कर दूसरे देश की सीमा में दाखिल हो गए थे। सेना ने स्थानीय
लोगों की मदद से इनका पता लगाया था।
चीन की सेना की हरकत का पता चल गया था
दूसरी तरफ चीन के सरकारी ने आरोप लगाया है कि पांचों युवा, भारत की इंटेलीजेंस
एजेंसी का हिस्सात थे। चीन की पीपल्स लिब्ररेशन आर्मी (पीएलए) ने दक्षिणी तिब्बत
में उस समय पकड़ा गया था जब ये चीन की इंटेलीजेंस चोरी करने में लगे थे।चीन के
सरकारी अखबार ग्लोभबल टाइम्स के संपादक हू शिजिन ने कहा कि ये पांचों लोग
भारतीय खुफिया संगठन के सदस्यो थे और खुद को शिकारी बता रहे थे। उन्हों ने दावा
किया कि ये भारतीय नागरिक जासूसी करने के लिए शन्नान प्रांत में घुसे थे।ग्लोबल
टाइम्सर के संपादक हू शिजिन ने कहा, ‘जहां तक मुझे जानकारी है, 5 भारतीय जासूसी
दल के सदस्य शिकारियों के गुप्त वेश में थे और वे वास्ताविक नियंत्रण रेखा को पार
करके चीन के तिब्बूत के शन्नान प्रीफेक्चेर में जासूसी करने के लिए घुसे थे। उन्हें चीनी
पक्ष ने हिरासत में लिया है। इन्हेंर चेतावनी दी गई है और शिक्षा दी गई है।
वहां के लोग अक्सर ही जंगलों में कई दिनों तक चलते हैं
बता दें कि राज्य के ऊपरी सुबनसिरी जिले में भारत-चीन सीमा के पास जंगल में शिकार
के लिए गए 7 में से 5 लोगों का चीनी सेना ने अपहरण कर लिया था। लापता युवकों में से
एक के रिश्तेदार प्रकाश रिंगलिंग ने अपने फेसबुक पोस्ट में पहली बार इस बारे में लिखा
था। लापता युवकों की पहचान टोच सिंगकम, प्रसात रिंगलिंग, डोंगटू एबिया, तनु बाकेर
और गारू डिरी के रूप में हुई थी। पांच सितंबर को अरुणाचल प्रदेश के एक विधायक ने
चीन के सैनिकों द्वारा इन्हें उठा ले जाने का आरोप लगाते हुए केंद्र सरकार से मदद की
अपील की थी। इसके बाद हरकत में आई भारत सरकार की कूटनीतिक कोशिशें रंग लाती
नजर आ रही हैं। डिफेंस पीआरओ तेजपुर की तरफ से बताया गया है कि पांचों युवाओं को
किबिथू में सेना को सौंपा गया है। सेना ने कहा है कि वह हमेशा नॉर्थ ईस्टच के लोगों के
भले के लिए काम करती रहेगी। उल्लेख करें कि अरुणाचल प्रदेश के पहाड़ी जंगलों में
अक्सर लोगों और विमानों के लापता होने की खबरें सामने आती हैं। पिछले साल भारतीय
वायुसेना का एक जहाज इन पहाड़ी जंगलों में लापता हो गया था और कुछ दिन पहले
प्रदेश के नाचो गांव के कुछ युवकों की टोली भी इन्ही जंगलों में लापता हो गई थी। यह
टोली निर्जन जंगल में शिकार के लिए गई थी। इनमें से केवल दो वापस आए थे। लापता
युवकों के परिजन ने बताया कि बॉर्डर पर सीमांकन ठीक से नहीं है। इस वजह से उन्हें पता
नहीं चल पाता कि वे किस ओर हैं और वे लोग काफी आगे बढ़ जाते हैं। इसके बाद ही कई
बार उन्हें चीन की सेना हिरासत में ले लेती है। अरुणाचल प्रदेश के सुबनसिरी जिले के
पहाड़ी जंगलों से लापता 5 युवकों के साथ भी उस दिन ऐसा ही हुआ था।
[subscribe2]
[…] सुरक्षित व आरक्षित रहेगी। पर प्रबंधन अपने वायदे से मुकर गया। लंबे चले आंदोलन और […]
[…] दिया जिन्होंने उनके बच्चों को सुरक्षित रखा […]