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तूफान का असली कहर यहां आकर खत्म हुआ
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तूफान की रफ्तार को रोक दिया घने जंगलों ने
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गांव के गांव उजड़ गये हैं तेज हवा के झोंके में
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जंगल के अंदर की स्थिति का आकलन शेष
ऋद्धिमान, प्रवीर और भूपेन गोस्वामी
ढाका, सुंदरवन, गुवाहाटीः बुलबुल का कहर और भीषण हो सकता था।
लेकिन इस तूफान के गुजर जाने के बाद जो आंकड़े सामने आये हैं, उसके मुताबिक भारतवर्ष और बांग्लादेश को मिलाकर कुल 32 लोग ही मारे गये हैं।
डेढ़ सौ किलोमीटर की रफ्तार से धमके इस तूफान से लाखों लोग बेघर जरूर हो गये हैं।
लेकिन वैज्ञानिक मानते हैं कि सुंदरवन के जंगलों की वजह से इस तूफान का असर आधा से भी कम होकर गुम हो गया।
अगर इस सुंदरवन की बनावट ऐसी नहीं होती तो मरने वालों की संख्या बहुत अधिक हो सकती थी।
दरअसल वहां के जंगलों की बनावट में तेज तूफान की गति भी उलझकर रह गयी और धीरे धीरे समाप्त हो गयी।
इस दौरान सभी इलाकों ने तेज आंधी और बारिश का प्रकोप झेला।
लेकिन जो खतरा हो सकता था, वह सिर्फ सुंदरवन की वजह से टल गया।
अब सुंदरवन के दोनों इलाके यानी भारत और बांग्लादेश की आंतरिक स्थितियों का अध्ययन किया जा रहा है।
वहां के वन्य जीवन की स्थिति का अब तक आकलन नहीं हो पाया है।
जान लें कि सुंदरवन की असली ख्याति वहां के रॉयल बंगाल टाईगर की वजह से हैं।
यहां के जंगलों में इनकी बहुतायत है और वहां की नदियों में छोटे आकार के आक्रामक किस्म के घड़ियाल भी रहते हैं।
पश्चिम बंगाल के दक्षिण चौबीस परगना इस बाघों का मुख्य इलाका है।
लेकिन वे कई बार उत्तर चौबीस परगना और विशाल नदियों को तैरकर बांग्लादेश की तरफ भी चले जाते हैं।
इसलिए उनकी गिनती में अंतर आता रहता है।
बुलबुल के कहर को झेल गया सुंदरवन अकेले
इस बार के तूफान में जंगल के अंदर की क्या स्थिति है, उसे देखने समझने में थोड़ा वक्त लग सकता है।
वैसे तूफान से इंसानी बस्तियों को बसाने के लिए जंगलों ने बड़ी कुर्बानी दी है।
वहां के अधिकांश पेड़ इस तूफान की चपेट में उखड़ गये हैं।
लेकिन जड़ से उखड़ने के बाद भी वह तूफान के असर को कम करने में प्रमुख साबित हुए हैं।
बुलबुल तूफान का कहर कुछ ऐसा था कि दोनों ही देशों के अधिकांश हवाई अड्डों पर से उड़ानें बंद कर दी गयी थी।
इस दौरान लाखों लोगों को पूर्व सूचना की वजह से सुरक्षित इलाकों में हटा लिया गया था।
अब लोग अपने गांव और घर लौटकर तबाही का मंजर देख रहे हैं।
इनमें से अधिकांश के घर इस तूफान में पूरी तरह ध्वस्त हो चुके हैं।
बांग्लादेश में कई गांव ऐसे भी हैं, जहां एक भी घर सही सलामत नहीं बचा है।
इन इलाकों में अब नये सिरे से लोगों के पुनर्वास का काम प्रारंभ किया जा रहा है।
लेकिन इस तूफान और तेज बारिश से जिन इलाकों के नदियों के तटबंध टूट गये हैं,
वह अब एक नये किस्म के खतरे का आगाज कर चुका है।
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