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इसका यह अर्थ नहीं कि यह हमारे जीवन के लायक है
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इंसानी जीवन के लिए दूसरे गैसों की भी जरूरत
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अंतरिक्ष में दो अन्य स्थान भी ऐसे ही पाये गये हैं
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पृथ्वी से 581 प्रकाशवर्ष की दूरी पर है यह इलाका
प्रतिनिधि
नईदिल्लीः सांस लेने लायक ऑक्सीजन दूसरे सौरमंडल में होने के संकेत मिले हैं। इसी
क्रम में वैज्ञानिकों ने यह पहली बार महसूस किया है कि जीवन के दूसरे स्वरुप भी हो
सकते हैं। लेकिन उन स्थानों पर इंसान जिंदा नहीं रह सकता है। इस पृथ्वी पर भी अनेक
ऐसे इलाके हैं जहां सुक्ष्म जीवन तो पनप रहे हैं लेकिन इन इलाकों में इंसानी जीवन जिंदा
नहीं रह सकता है। इसी आधार पर सांस लेने लायक ऑक्सीजन अन्य सौरमंडल में होने के
बाद भी इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वह इलाका मनुष्य प्रजाति के लायक ही हो।
खगोल वैज्ञानिक लगातार इस शोध में जुटे हुए हैं कि इस पृथ्वी के बाहर भी जीवन की
तलाश हो और कोई ऐसा इलाका भी तलाशा जाए जहां जीवन को बसाया जा सके। ऐसी
सोच इसलिए आयी है क्योंकि किसी भीषण आपदा अथवा पर्यावरण संबंधी कठिन
परिस्थिति उत्पन्न होने के मौके पर जीवन के वर्तमान सभी आयामों को किसी दूसरे ग्रह
अथवा इलाके में बसाया जा सके। इसके तहत अभी वैज्ञानिक चांद की मिट्टी में दबे
ऑक्सीजन की मदद से चांद पर भी जीवन की संभावनाएं तलाश रहे हैं।
सांस लेने लायक ऑक्सीजन का मतलब पृथ्वी जैसा नहीं
शंघाई खगोल केंद्र के वैज्ञानिक जूंझी वांग ने अपनी इस शोध के बारे में एक प्रबंध
प्रकाशित किया है। इसमें यह बताया गया है कि पृथ्वी से करीब 581 प्रकाशवर्ष की दूरी पर
अवस्थित इलाके में ऐसा क्षेत्र हैं जहां सांस लेने लायक ऑक्सीजन मौजूद है। इस
सौरमंडल का नाम मारकारियन 231 रखा गया है। दुधिया रास्ता (मिल्की वे) के पास
स्थित यह सौरमंडल उन अनगिनत सौरमंडलों में से एक है, जिनपर वैज्ञानिक एक एक
कर नजर डाल रहे हैं और उनके विवरण दर्ज कर रहे हैं। दुनिया से बाहर चल रहे अनुसंधान
का प्राथमिक विषय पृथ्वी जैसी परिस्थितियों वाले किसी अन्य इलाके की तलाश करना
है। ताकि पृथ्वी के बाहर भी कहीं जीवन है, इसकी पुष्टि हो सके।
वैज्ञानिक इस संभावित नये किस्म के जीवन की शैली को भी समझने को उत्सुक हैं। वैसे
भी अंतरिक्ष में अजीब किस्म के बैक्टेरिया और वायरस पाये गये हैं, जो इस पृथ्वी के नहीं
हैं। वांग और उनके सहयोगियों ने अपने काम के लिए आइआरएएम 30 एम टेलीस्कोप का
इस्तेमाल किया था। इसी से मिले आंकड़ों का जब विश्लेषण किया गया तो सुदूर अंतरिक्ष
के उस क्षेत्र में 11-10 श्रेणी के ऑक्सीजन होने की पुष्टि हुई है।
पिछले बीस वर्षों में यह तीसरा मौका है जब पृथ्वी के बाहर कहीं और ऑक्सीजन होने का
संकेत मिले हैं। इसके पहले पृथ्वी से 350 प्रकाशवर्ष की दूरी पर अवस्थित रोहो आफियूची
में तथा 1344 प्रकाशवर्ष दूर अवस्थित ओरियन नेबूला में भी ऑक्सीजन होने के संकेत
मिले हैं।
इंसान को जिंदा रहने लिए दूसरे गैस भी चाहिए
अभी जिस क्षेत्र में ऑक्सीजन होने का पता चला है, वह इलाका वर्ष 1969 में ही खगोल
दूरबीन से देखा जा चुका था। वहां ऑक्सीजन इसी सांस लेने लायक होने की पुष्टि करने
के साथ ही वैज्ञानिकों ने यह भी साफ कर दिया है कि इसका यह अर्थ नहीं निकाला जाना
चाहिए कि वहां का माहौल पृथ्वी के जैसा ही हैं। क्योंकि इंसान को जिंदा रहने के लिए
नाइट्रोजन, कार्बन डॉइऑक्साइड, मिथेन जैसी गैसों की भी जरूरत है। इसलिए सिर्फ
ऑक्सीजन के उपलब्ध होने के कारण ही सुदूर अंतरिक्ष के इस क्षेत्र को इंसानी अथवा
पृथ्वी के जीवन के लायक नहीं माना जा सकता है।
पिछले वर्ष इसी खोज के तहत वैज्ञानिकों ने के2-18 बी नामक का ग्रह भी खोज निकाला
है। जिसके बारे में यह माना जा रहा है कि वहां का माहौल पृथ्वी के जीवन के लायक है।
इस ग्रह में पानी भी है। लेकिन वहां पृथ्वी के बाहर के प्राणी भी हो सकते हैं। यह ग्रह
आकार में पृथ्वी से दोगुना से भी अधिक है लेकिन वर्तमान में वहां जीवन होने की पुष्टि
करने लायक कोई तकनीक नहीं आयी है। वैज्ञानिक इस बात को लेकर आशान्वित हैं कि
अगले दस वर्षों में वैसे टेलीस्कोप भी तैयार हो जाएंगे जो किसी सतह पर होने वाली गैस
की गतिविधियों को पक़ड़ लेंगे। इससे पता चल जाएगा कि किसी ग्रह अथवा तारा की
सतह पर क्या कुछ चल रहा है। इससे भी जीवन होने का पता लगाने का नया रास्ता खुल
जाएगा।
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