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दरअसल सूर्य हमारे सौर मंडल के ठीक केंद्र में नहीं
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पुरानी वैज्ञानिक सोच के प्रतिकूल नया सिद्धांत
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इस राय की भी वैज्ञानिक जांच अभी बाकी है
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चांद और पृथ्वी पर भी यही नियम लागू है
प्रतिनिधि
नईदिल्लीः कंप्यूटर मॉडल ने हमें वह नई जानकारी दी है, जिसके बारे में हम पहले
कल्पना भी नहीं करते थे।दरअसल हम काफी समय से यह पढ़ते और मानते आये हैं कि
यह हमारा सौरमंडल असंख्य सौरमंडलों में से एक है। हमारे सौरमंडल के ठीक बीच में सूर्य
है। इसके ठीक बीच में होने की वजह से सारे ग्रह इसकी परिक्रमा करते रहते हैं। हमें
बचपन से विज्ञान की कक्षाओं में यही पढ़ाया भी गया है। आज भी स्कूलों में बच्चे इस
तथ्य को पढ़कर अपना ज्ञान विकसित कर रहे हैं।
इस सिद्धांत को कंप्यूटर मॉडल के एक प्रयोग ने गलत साबित कर दिया है। इस मॉडल में
इस सौर मंडल के सभी ग्रहों और तारों को शामिल कर जब उनका एनिमेशन बनाया गया
तो यह नतीजा चौंकाने वाला रहा। इसका नतीजा यह था कि सूर्य दरअसल इस सौर मंडल
का केंद्र नहीं है। जिस केंद्र के चारों तरफ सारे ग्रह चक्कर काट रहे हैं वे सूर्य से थोड़ा अलग
हटकर है। खगोल विज्ञान की परिभाषा में इस सौर मंडल के केंद्र को बैरीसेंटर कहा जाता
है। अब कंप्यूटर मॉडल का एनिमेशन बताता है कि यह बैरीसेंटर सूर्य से अलग हटकर है।
यह निष्कर्ष हमारी पहले की पढ़ाई से बिल्कुल अलग है।
कंप्यूटर मॉडल ने पुराने सिद्धांत को ही पलट दिया
जिस इलाके को पहले से ही सैद्धांतिक तौर पर हमारे पूरे सौर मंडल का केंद्र माना जाता रहा
है, वह सूर्य क्यों हैं, इस बारे में अब तक कोई ठोस सिद्धांत सामने नहीं आया है। दऱअसल
ग्रहों की चाल और गति से आधार पर इस बात का अनुमान लगाया गया था कि इन सभी
के केंद्र में सूर्य ही है। जिसके प्रवल गुरुत्वाकर्षण की वजह से सभी अन्य ग्रह अपनी अपनी
धुरी पर चल रहे हैं और सूर्य की ही परिक्रमा कर रहे हैं। कंप्यूटर मॉडल के एनिमेशन में यह
बात अब सही साबित नहीं हो रही है। वैसे अब तक इस कंप्यूटर मॉडल के सारे आंकड़े और
एनिमेशन की भी वैज्ञानिक तथ्यों को आधार पर निष्पक्ष जांच नहीं हो पायी है। लेकिन
यह दिखा रहा है कि दरअसल इस सौर मंडल का जो केंद्र है, वह सूर्य से हटकर ही है।
जापान के अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र के प्रमुख ने इसके बारे में अपने ट्विटर के माध्यम से
भी जानकारी दी है। उन्होंने बताया है कि इस पूरे सौर मंडल की भौतिक संरचना का
अधिकांश इलाका सूर्य ही है। सूर्य ही इस पूरे सौर मंडल के 99.8 प्रतिशत भौतिक संरचना
को अपने पास रखता है। इसके बाद जो कुछ बचता है वह जूपिटर यानी वृहस्पति ग्रह का
है। इन दोनों में गुरुत्वाकर्षण का एक खिंचाव लगातार काम करता है। इसलिए यह भी अब
माना जा सकता है कि कुछ हद तक सूर्य भी इस गुरु ग्रह की परिक्रमा करता रहता है। इस
क्रम में अपनी धुरी पर घूमते हुए सूर्य इसी वास्तविक केंद्र से भी गुजरता है।
केंद्र में गुरु के गुरुत्वाकर्षण के कारण नहीं टिक पाता
इस केंद्र में बहुत अधिक देर तक नहीं टिकता क्योंकि उस पर भी गुरु ग्रह का गुरुत्वाकर्षण
प्रभावी रहता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक जब दो गुरुत्वाकर्षण बल एक साथ काम करते
रहते हैं तो किसी एक का ठीक केंद्र में टिके रहने की संभावना नहीं होती। इसी वजह से सौर
मंडल का वास्तविक केंद्र सूर्य से अलग है। सिर्फ बीच बीच में सूर्य इसके करीब से गुजरता
रहता है। ठीक केंद्र में सूर्य के पहुंचते ही उस पर गुरु ग्रह का गुरुत्वाकर्षण बल प्रभावी होता
है। इन दोनों ग्रहों का यह गुरुत्वाकर्षण बल भी दोनों के भौतिक आकार के अनुपात में ही
है। इस सौर मंडल के बाकी ग्रहों का सूर्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता जबकि बाकी ग्रहों के
परिक्रमा करने के लिए सूर्य का गुरुत्वाकर्षण निरंतरह काम करता रहता है। इसी शोध के
तहत यह भी बताया गया है कि पृथ्वी और चंद्रमा के बीच के केंद्र में भी दोनों कभी नहीं
आते हैं। दोनों पर एक दूसरे का खिंचाव काम करता रहता है। वैज्ञानिकों का निष्कर्ष है कि
सबसे अधिक आकार वाले सूर्य के परिक्रमा की सोच संभवतः उसके आकार और
गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से की गयी गयी। अब यह पता चल रहा है कि वास्तव में यह
हमारे सौर मंडल का केंद्र नहीं है।
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