संवाददाता
रांचीः भाजपा सांसद महेश पोद्दार ने व्यापारिक कोयला खनन पर राज्य सरकार के विरोध
पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।भाजपा सांसद ने कहा है कि वक्त की मांग को पहचानना,
उसकी इज्जत करना और उसके हिसाब से चलना ही समझदारी कही जाती है। कोरोना
महामारी बेशक एक आपदा है जिसने हमें तरक्की की राह पर काफी पीछे धकेला है।
लेकिन यह अवसर भी है, जहां से हम लम्बी छलांग लगाकर नुकसान की भरपायी करने के
साथ – साथ उपलब्धियों के नए कीर्तिमान भी बना सकते हैं। आत्मनिर्भर भारत अभियान
और इस अभियान के तहत कोयले की कमर्शियल माइनिंग वही मौक़ा है। इस मौके का
लाभ लिया तो हम बड़ी छलांग लगा सकते हैं, चूक गये तो हमें पिछड़ने से भला कौन रोक
सकता है। हमारा देश कुल कोयला खपत का लगभग 26 प्रतिशत आयात करता है जिसपर
हर साल डेढ़ लाख करोड़ रुपये से भी अधिक की बहुमूल्य विदेशी मुद्रा खर्च करता है। इस
आयात का कुछ हिस्सा कोकिंग कोल का है, जिसे हम रोक नहीं सकते क्योंकि हमारे देश
में कोकिंग कोल के संसाधन सीमित हैं। किन्तु, नॉन कोकिंग कोल का भरपूर भण्डार होने
के बावजूद इसका आयात कर देश के बहुमूल्य विदेशी मुद्रा का व्यय करना किसी अपराध
से कम नहीं है।
पिछले दिनों इस मामले में मैं एक नए दिलचस्प तथ्य से अवगत हुआ।मुझे पता चला कि
धनबाद स्थित बीसीसीएल में बड़ी मात्रा में कोकिंग कोल साधारण कोयले के तौर पर
इस्तेमाल होता है क्योंकि वाशरी नहीं है। वाशरी नहीं है क्योंकि पैसा नहीं है। जाहिर है,
कमर्शियल माइनिंग के जरिये जब निवेशक आयेंगे, पूंजी आयेगी तो नई वाशरियां लग
सकेंगी और तब शायद कोकिंग कोल का उत्पादन भी बढ़ेगा, इसका आयात भी घटेगा।
भाजपा सांसद ने कहा कि यह कमाई सिर्फ राज्यों को होगी
नीलामी प्रक्रिया से आनेवाला सारा राजस्व सिर्फ और सिर्फ राज्यों के ही हिस्से में आयेगा।
झारखण्ड में फिलहाल केवल 9 खदानों के लिए ही नीलामी होनी है। ये खदानें छोटी छोटी
हैं और इनमें से कुछ तो बंद पड़ी खदाने हैं। लेकिन इन्हीं छोटी या बंद पड़ी खदानों से
झारखण्ड को प्रति वर्ष न्यूनतम 3241 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने का अनुमान है।
इसके अलावा राज्य में करीब 50 हजार प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन होगा।अबतक
प्रति टन के हिसाब से मिल रहा राजस्व तो यथावत रहेगा ही, नई व्यवस्था से न्यूनतम 5-
6 गुणा अधिक और अतिरिक्त राजस्व भी हासिल होगा।
इस कदम से स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के नए रास्ते खुलेंगे। सरकारी नौकरियां
सीमित हैं और स्थानीय लोग निजी कंपनियों में कुशल, अर्द्ध कुशल और अकुशल कामगार
के रूप में रोजगार हासिल करेंगे और स्थानीय रोजगार भी पनपेंगे।
Be First to Comment