पटनाः 2005 से पहले बिहार राज्य की स्थिति आज के अफ्रीकी देशों से भी खराब थी।
बिहार सरकार के सात विभागों की अनेक योजनाओं के उद्घाटन,शिलान्यास के लिए
आयोजित वचुअल समारोह को सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने
कहा कि 2005 के पहले बिहार की हालत अफ्रीकी देशों से भी ज्यादा खराब थी। लोग
बिहारी कहलाने में शर्म महसूस करते थे और अपनी पहचान छुपाते थे। बड़ी मुश्किल से
उस अंधेरी सुरंग से आज बिहार को निकाल कर यहां तक लाया गया है। मुख्यमंत्री नीतीश
कुमार की अगुवाई में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जिस तरह से बिहार की मदद कर रहे हैं, वैसे
में अब बिहार का विकास कभी रूकेगा नहीं। आज कोरोना, चमकी बुखारसे लेकर सड़क,
बिजली, पानी के साथ ही बाहर से आए मजदूर और बाढ़ को भी विपक्ष मुद्दा नहीं बना पा
रहा है।
श्री मोदी ने कहा कि शुरुआत में विपक्ष ने कोरोना को मुद्दा बनाने का प्रयास किया,मगर
आज प्रतिदिन डेढ़ लाख से ज्यादा जांच हो रही है, एम्स सहित अन्य अस्पतालों में बेड
खाली पड़े हैं। सरकार की सजगता की वजह से ही इस साल चमकी बुखार से बड़ी संख्या में
बच्चों की जान बचाई जा सकी है। 15 लाख से ज्यादा मजदूरों को ट्रेन से उनके घरों तक
पहुंचाया गया,उन्हें 8 महीने का मु्फ्त अनाज दिया जा रहा है। 20 लाख बाढ़ पीड़ितों को
उनके खाते में 6-6 हजार रुपये भेजे गए हैं।
इको टूरिज्म के नए स्थल के तौर पर जिस बेहतर ढंग से करकटगढ़, तुतला भवानी और
वाल्मीकिनगर आदि का विकास किया गया है, वह कल्पना से परे हैं।
2005 से अब तक क्या विकास हुआ यह दिखता है
मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि अगर आगे मौका मिलता है तो वाल्मीकिनगर टाइगर
रिजर्व में मंत्रिपरिषद की पहली बैठक जरूर आयोजित की जाए ताकि पूरे देश का ध्यान
आकृष्ट हो। पटना में जिस राष्ट्रीय डाल्फिन शोध संस्थान का शिलान्यास किया जा रहा है
वह भारत का ही नहीं बल्कि एशिया का पहला संस्थान होगा।
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