-
अपराध नियंत्रण की दिशा में लगातार काम हो रहा है
-
अनेक मामलों का उद्भेदन के आंकड़े भी पेश किये
-
25 दिन में 24 मामलों का खुलासा रिकार्ड में
-
अभिभावकों को गंभीर किस्म की नसीहत दी
दीपक नौरंगी
पटनाः बात-चीत मुख्य तौर पर बिहार राज्य की विधि व्यवस्था पर ही आधारित थी।
पहली बार बिहार के पुलिस महानिदेशक एस के सिंघल ने बड़ी शांति के साथ कड़वे सवालों
को न सिर्फ सुना बल्कि पूरे धैर्य और विश्वास के साथ उनका उत्तर भी दिया। उन्होंने कहा
कि हर छोटे बड़े मामले का अनुसंधान पूरी गंभीरता से ही किया जाता है। कुछेक मामलों
को छोड़ दें तो बाकी मे लगातार पुलिस को सफलताएं मिल रही हैं। श्री सिंघल ने कहा कि
उन्हें अपने विभाग के अफसरों और कर्मियों की योग्यता पर पूरा भरोसा है, इसलिए देर
सबरे सभी मामलों का खुलासा निश्चित तौर पर हो जाएगा। उन्होंने कहा कि विधि
व्यवस्था के मोर्चे पर बिहार पुलिस पूरी तरह मुस्तैद है।
वीडियो में देखिये बिहार के डीजीपी ने विस्तार से क्या कहा
बात-चीत में उन्होंने बताया सिर्फ रात को ही नहीं बल्कि दिन में भी नियमित गश्ती हो रही
है। उन्होंने बताया कि ग्रामीण थानों में दो और शहरी थानों में तीन गाड़ियों की व्यवस्था
राज्य सरकार के द्वारा की गयी है। इसके अलावा दो पहिया वाहनों और पैदल गश्ती भी
नियमित तौर पर हो रही है। रात्रि गश्ती को और बेहतर बनाने की बात कहते हुए श्री
सिंघल ने कहा कि इन व्यवस्थाओं के बाद लोगों को रात के वक्त पुलिस की मौजूदगी का
जो एहसास होना चाहिए, वह और बेहतर होगा। बात-चीत में उन्होंने कहा कि कोरोना
संक्रमण के दौरान ही बिहार में विधानसभा चुनाव का पूरी तरह शांतिपूर्ण होना ही पुलिस
की सक्रियता का जीता जागता प्रमाण है, जिसकी हर जगह अब चर्चा हो रही है।
बात-चीत में माता पिता के उल्लेख पर आंखों में आंसू आ गये
बात-चीत के दौरान अपने मूल निवास पंजाब के जालंधर के निवासी होने वाले श्री सिंघल
ने कहा कि अभी सोच थोड़ी बदली है लेकिन उनके युवावस्था में पंजाब के युवाओं के लिए
दो ही विकल्प का सपना होता था। या तो उन्हें कोई वर्दी चाहिए या फिर से विदेश चले
जाना चाहते थे। अब सोच बदली है। इसी सोच के तहत ही वह खुद भी पुलिस सेवा में आये
थे। उन्होंने अपने शिक्षक के पुत्र होने और पुलिस सेवा में आने के पहले खुद ही प्राध्यापक
होने का उल्लेख किया।
खुद के पुलिस सेवा में चुने जाने के बाद पिता (स्वर्गीय सत्यप्रकाश सिंघल) और माता की
खुशी की चर्चा करते हुए बिहार के डीजीपी की आंखों में आंसू भी आ गये। उन्होंने कहा कि
उस दौरान घर के लोगों की खुशी कोई कहने की बात नहीं होती। उनके हाव भाव से ही इसे
महसूस किया जा सकता है।
बात-चीत में ही उन्होंने वर्तमान दौर के अभिभावकों को भी अपने बच्चों से बहुत घनिष्ठ
संवाद बनाये रखने की वकालत की। श्री सिंघल ने कहा कि जब माता पिता के साथ बच्चों
का नजदीकी रिश्ता होता है तो वे समझ सकते हैं कि कहीं उनका बच्चा किसी गलत संगत
में तो नहीं जा रहा है। इसलिए बहुत अच्छा कम्युनिकेशन बनाये रखने की सख्त जरूरत
है। बिहार पुलिस के इंस्पेक्टरों के स्टार बैज में हुए बदलाव के सवाल पर कहा कि इस
पर भी वह सभी संबंधित पक्षों से विचार विमर्श कर कोई ठोस फैसला लेंगे।
बहुचर्चित रुपेश सिंह हत्याकांड पर भी जानकारी दी
रुपेश सिंह हत्याकांड के बारे में बिहार के डीजीपी ने कहा कि कई टीमें इस पर काम कर रही
हैं। कई बार ऐसे हत्याकांडों में एक नहीं अनेक गुत्थियां आपस में उलझी होती हैं। लेकिन
अनुसंधान प्रगति पर है और इस हत्याकांड का भी निश्चित तौर पर खुलासा हो जाएगा।
1994 बैच के दारोगा लोगों के साथ लगे दागी शब्द के सवाल पर उन्होंने इसी बात चीत में
बताया कि आदेश में बदलाव के साथ ही इस बैच के लोग काम पर लौट आये हैं। आगे भी
जहां जैसी जरूरत होगी, उन्हें अवश्य ही जिम्मेदारी सौंपी जाएगी।
[…] अपने परिवार की जिम्मेदारियों का पूरा एहसास है। […]
[…] चौरसिया, आदि मौजूद थे। […]
[…] मांग की है। श्री दास ने यह पत्र बिहार के डीजीपी को लिखा है। इसमें कहा गया है […]
[…] बात संज्ञान में दी थी जिस पर डीजीपी संजीव कुमार सिंघल ने साफ तौर पर कहा […]