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31 वें दिन कई राज्यों से किसान दिल्ली रवाना
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महाराष्ट्र और उत्तराखंड का जत्था पहुंचा
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कारपोरेट विरोध दिवस मनायेंगे संगठन
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चारों धरना स्थलों पर किसान पहुंचेंगे
नयी दिल्ली: कृषि सुधार कानूनों के विरोध में किसान संगठन का आंदोलन शनिवार को 31वें
दिन भी जारी रहा और राजधानी की सीमा पर धरना-प्रदर्शन कर रहे किसानों को समर्थन देने
के लिए देश के कई राज्यों से किसान दिल्ली के लिए कूच कर गये हैं। आंदोलन का एक माह
पूरा होने पर भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) ने सभी इकाइयों से
‘धिक्कार दिवस’ तथा ‘अम्बानी, अडानी की सेवा एवं उत्पादों के बहिष्कार’ के रूप में
‘कारपोरेट विरोध दिवस’ मनाने की अपील की है। ‘सरकार का धिक्कार’ उसकी संवेदनहीनता
और किसानों की पिछले सात माह के विरोध और ठंड में एक माह के दिल्ली धरने के बावजूद
मांगें न मानने के लिए किया जा रहा है। कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ अब चारो धरना
स्थलों की ताकत बढ़ रही है और कई महीनों की तैयारी करके किसान आए हैं। पास-पड़ोस के
क्षेत्रों से और दूर-दराज के राज्यों के किसानों की भागीदारी बढ़ रही है। आज 1000 किसानों का
जत्था महाराष्ट्र से शाहजहांपुर पहंचा है, जबकि 1000 से ज्यादा उत्तराखंड के किसान
गाजीपुर की ओर चल दिये हैं। दो सौ से ज्यादा जिलों में नियमित विरोध और स्थायी धरने
चल रहे हैं। किसान संगठनों के प्रतिनिधियों का राजधानी में आना शुरू हो गया है। ये लोग
पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और कई अन्य राज्यों से आ रहे हैं। दिल्ली-उत्तर
प्रदेश सीमा पर आंदोलन आज उग्र हो गया और किसानों ने दिल्ली से आने वाले मार्ग को बंद
कर दिया।
कृषि सुधार कानूनों पर सरकार की टिकैत ने आलोचना की
भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार अपने अड़ियल रवैये
पर कायम है, ऐसे में किसानों का धैर्य धीरे-धीरे जवाब दे रहा है। भाजपा शासित राज्यों की
सरकारें आंदोलन को दबाने के लिए बाहर से आने वाले किसानों को विभिन्न स्थानों पर रोक
रही हैं। दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर चल रहे कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ किसानों के धरने और
आंदोलन में शामिल होने जा रहे राजस्थान के हजारों किसानों को हरियाणा पुलिस द्वारा
दिल्ली-जयपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर खेड़ा सीमा पर रोके जाने से वहां किसानों का बड़ा
जमावड़ा लग गया है। खेड़ा सीमा पर किसानों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। यहां
गुजरात और महाराष्ट्र से भी किसान पहुंच रहे हैं।
सांसद हनुमान बेनीमाल ने किसानों के समर्थन में आने का एलान किया
राजग के सहयोगी दल रालोपा के राजस्थान की नागौर सीट से सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी
आज अपने समर्थकों और किसानों के साथ खेड़ा सीमा पर पहुंचने का एलान किया है। सैंकड़ों
किसान अपने वाहनों के साथ कोटपुतली में एकत्रित हुए हैं और श्री बेनीवाल के नेतृत्व में चार-
पांच बजे तक उनके शाहजहांपुर बॉर्डर पहुंचने की उम्मीद हैं।
इस बीच, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि कृषि विरोधी तीन कानूनों के
खिलाफ किसान करीब एक महीने से आंदोलन कर रहे हैं और उनके आंदोलन को भटकाने का
प्रयास किया जा रहा है लेकिन सरकार को समझ लेना चाहिए कि किसान की बात जब तक
नहीं सुनी नहीं जाती वे लौटने वाले नहीं है। श्री गांधी ने ट्वीट किया,‘‘ मिट्टी का कण-कण गूंज
रहा है, सरकार को सुनना पड़ेगा।’’ हरियाणा प्रदेश आम आदमी पार्टी (आप) ने चेतावनी दी है
कि केंद्र सरकार ने अगर जल्द ही तीनों कृषि कानून वापस नहीं लिये तो पार्टी किसानों के
समर्थन में भाजपा नेताओं का घेराव करने पर मजबूर हो जाएगी। महाराष्ट्र के औरंगाबाद में
आंदोलनकारी किसानों के समर्थन में सिख समुदाय के लोगों ने शिव सेना के सहयोग से
ओसपुरा गुरुद्वारा के सामने गुरु गोविंद सिंह चौक पर धरना प्रदर्शन किया। सिखों ने शिव
सेना नेता अंबादास दानवे के नेतृत्व में धरना प्रदर्शन किया। धरना-प्रदर्शन के दौरान ‘जय
जवान-जय किसान’, ‘वंदे मातरम’, ‘भारत माता की जय’ के नारे लगाये गये।
हिसार से 50 टैक्टर ट्रालियों में दिल्ली रवाना होंगे किसान
हरियाणा में हिसार से 50 टैक्टर ट्रालियों में अनेक किसान दिल्ली के सिंधू बार्डर चल रहे
किसान आंदोलन में भाग लेने के लिये रविवार को रवाना होंगे। अखिल भारतीय किसान
मजदूर समन्वय संघर्ष समिति की कोर कमेटी की बैठक आज यहां क्रांतिमान पार्क में हवा
सिंह झाझड़िया की अध्यक्षता में हुई। बैठक में गत 26 नवम्बर से दिल्ली सीमा पर बैठे
किसानों के आंदोलन को जोरदार समर्थन देने के लिए जाने वाले ट्रैक्टर जत्थे की तैयारियों की
समीक्षा की गई। बैठक में फैसला लिया गया कि हिसार से किसानों का जत्था 50 ट्रैक्टर ट्राली
के साथ हिसार के आजाद नगर से रवाना होगा और पूरे उत्साह के साथ शाहजापुर बॉर्डर को
पूर्ण रूप से बंद करेंगे। इसके साथ ही कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ रविवार को प्रधानमंत्री के
मन की बात का थाली और ताली बजाकर विरोध जताया जाएगा।
[…] केंद्र सरकार द्वारा अमल में लाये गये तीनों कृषि कानूनों पर रोक लगाने […]