फिर से हवाई जहाज से आने वाले यात्री ही देश में कोरोना का वह नया वायरस स्ट्रेन ले
आये हैं, जो अधिक मारक समझा गया है। ब्रिटेन में पाये गये इस परिवर्तित वायरस के
स्वरुप पर अधिक सतर्कता के आदेश जारी किये गये थे। वहां से वायरस के बारे में
चेतावनी संकेत जारी होने के पहले ही कई देशों तक यह नया संक्रमण पहुंच चुका है। पहले
तो यह समझा गया था कि सिर्फ यूरोप के पड़ोसी देश ही इसकी चपेट में आये हैं। लेकिन
अब पता चला है कि वहां से भारत आने वाले यात्रियों में से छह में इसी नये वायरस के
स्ट्रेन पाये गये हैं। पिछली फरवरी में भी यही वायरस अपने पहले स्वरुप में भारत आने के
लिए हवाई जहाज का सफर कर चुका है। उस वक्त भी जांच में लापरवाही बरती गयी थी।
पिछली बार भी यात्रियों ने बेइमानी की थी जांच में
बाद में मिली जानकारी के मुताबिक हवाई जहाज से लौटने वाले अनेक यात्रियों ने
संभावित जांच से बचने के लिए प्लेन के दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरने के एक घंटा पहले
पैरासिटामॉल टेबलेटों का इस्तेमाल किया था। लेकिन इससे कोरोना की रोकथाम नहीं हो
पायी और अपने अंदर विषाणु होने की जानकारी समझ में आने के बाद भी लोगों ने इसे
छिपाने का काम किया। उसका नतीजा पूरे देश को भुगतना पड़ा, यह अब बीते दिनों की
बात है। लेकिन इस बार सतर्कता और पूर्व अनुभव होने के बाद भी लोग कैसे इतने
लापरवाह और गैर जिम्मेदार साबित हो रहे हैं, यह बड़ा सवाल खड़ा हो रहा है। जिसके
शरीर में वायरस का संक्रमण होता है वह आगे बढ़ते हुए संबंधित इंसान को अपने होने का
संकेत देता चला जाता है। क्या हवाई जहाज से ब्रिटेन से लौटने वालों को फिर से हवाई
जहाज में होते वक्त ही अपने अंदर छिपे इस दुश्मन का पता नहीं था। अगर उन्हें जरा भी
संदेह था और उन्होंने यहां पहुंचते ही खुद को दूसरों से अलग थलग नहीं किया तो यह
गंभीर किस्म का नैतिक अपराध है।
फिर से हवाई अड्डों पर बेहतर जांच क्यों नहीं हुई यह भी सवाल
जाहिर सी बात है कि जिन छह लोगों में यह नया संक्रमण स्वरुप पाया गया है, वे लोग
जिनलोगों केसंपर्क में आये होंगे, उनमें से भी कुछ इसकी चपेट में आ चुके होंगे। अब
उनलोगों ने कहां तक इस वायरस को फैला दिया है, यह फिर से एक बड़ी राष्ट्रीय चुनौती
बन चुकी है। साथ ही कोरोना के मरीजों की संख्या घटने के साथ साथ लोगों में इसकी
जांच के प्रति बरती जा रही लापरवाही फिर से हमें पूरे देश के तौर पर संकट में डालती
नजर आ रही है। हर स्तर पर बार बार यह चेतावनी दी जा रही है कि मास्क ना छोड़े और
बिना काम के भीड़ वाले इलाकों में ना जाए। लेकिन अधिसंख्य लोगों को इसकी कोई
परवाह ही नहीं है। तो क्या ऐसी परिस्थिति में सिर्फ यह एलान कर दिया जाए कि अब से
आगे कोरोना संक्रमित होने वाले के खर्च की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति अथवा उसके
परिवार की होगी। कोरोना के उपचार, जांच और बचाव के मद में पिछले मार्च से अब तक
क्या कुछ खर्च हो चुका है, इसे हम सभी अच्छी तरह जानते हैं। हम यह भी जानते हैं कि
इस वैश्विक महामारी ने हमारे अपने घर की अर्थव्यवस्था का क्या हाल कर दिया है। आने
वाले दिनों में पूरे देश में कोरोना वैक्सिन के टीकाकरण का खर्च भी जनता के सर पर ही है।
जब पता चल गया था ज्यादा सावधान रहना था
ऐसे में अगर चंद लोगों की लापरवाही की वजह से फिर से देश में नया संकट पैदा हो और
फिर से अर्थव्यवस्था की गाड़ी पटरी से उतर जाए तो क्या होगा। जाहिर तौर पर भारत में
इस वायरस को लेकर हलचल के बीच बुरी खबर है। ब्रिटेन समेत यूरोपीय देशों में कहर
मचाने वाला कोरोना वायरस का यह नया स्ट्रेन अब भारत आ गया है। दरअसल, ब्रिटेन से
लौटने वाले छह मरीज कोरोना वायरस के इस म्यूटेंट से संक्रमित पाए गए हैं। इन सभी
लोगों को सिंगल आइसोलेशन रूम में रखा गया है। इनके संपर्क में आए करीबी लोगों को
भी क्वारंटाइन में रखा गया है।
गौरतलब है कि इस बीच कुल 33,000 यात्री यूके से भारत के अलग-अलग एयरपोर्ट पर
आए थे, जिनमें से अभी तक 114 कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। भारत और ब्रिटेन के
अलावा स्पेन, स्वीडन और स्विटजरलैंड में भी नए कोरोना वायरस के स्ट्रेन के पुष्टि हुई
है। वहीं फ्रांस में भी कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन मिला है। इसके अलावा डेनमार्क,
जर्मनी, इटली, नीदरलैंड्स और ऑस्ट्रेलिया में भी कई लोगों में कोरोना वायरस का नया
स्ट्रेन पाया गया है। वहीं दक्षिण अफ्रीका में भी कोरोना वायरस का एक नया स्ट्रेन मिला
है। जो ब्रिटेन के नए स्ट्रेन से अलग है।
[…] है। इसके अलावा दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया से भी नये किस्म के […]